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आज फ़िर आखों से आँसू आया है ...


आज फ़िर आखों से आँसू आया है  

आज फ़िर आखों से आँसू आया है,

आज फ़िर आखों से काजल बिखराया है। 

जानते हो क्यूँ? 

क्युकी, आज फ़िर उसपे उसी के घर वालों ने हाथ उठाया है। 

आज फ़िर आखों से आँसू आया है।। 

उसके रेशमी से बालों को खींचते हुए,

गालियां देते हुए, मारते हुए, फेंकते हुए,

आज फ़िर उसके पति ने अपनी मर्दानगी का एहसास दिलाया है। 

आज फ़िर आखों से आँसू आया है।।

हाथ जो उसका तन पे लगा है, 

घाव तो उसके मन पे लगा है, 

सिसकते, बिलखते, रोते हुए 

आज फिर उन घावों पे मरहम लगाया है।

आज फ़िर आखों से आँसू आया है।।

ख्वाहिशें थी उसकी कि प्यार मिलेगा,

खुशियों का उनसे संसार मिलेगा, 

क्या सोचा था और क्या पाया है। 

आज फ़िर आखों से आँसू आया है।।

 - देवांश

Thankyou😊

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